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गर्भ संस्कार में मंत्रो के शुभ प्रभाव !!
भारतीय परम्परा ने मंत्रो कि गूंज और इनसे होने वाले प्रभाव को स्वीकार किया है । गर्भावस्था के दौरान बोले एवं सुने जाने वाले मंत्र प्राचीन काल से ही उनकी शुभता हेतु प्रचलन में हैं ! गर्भस्थ शिशु ध्वनियों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करता है । गर्भ संस्कार में उच्चारित मंत्र की गूंजने वाली ध्वनि बच्चे तक पहुँचती है, जिसके शुभ प्रभाव से उनमें सदगुण पैदा किये जा सकते है और उन्हें गर्भ में ही संस्कारी बनाया जा सकता है । गायत्री मंत्र चिंतन मंत्र -- ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् । अर्थात् उस प्राण स्वरुप, दुःख नाशक, सुख स्वरुप, श्रेष्ठ, तेजस्वी परमात्मा को हम अंतरात्मा में धारण करें वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे । Mantra works on the vibration energy and that is why they are able to reach the subtle levels. Mantra and Beej Mantra are of various kinds and they have specific purposes. Reciting mantras in different ragas, sur and taal will produce differe...
गायत्री महाविज्ञान अनुभूत प्रयोग - दूसरो को प्रभावित करना एवं रक्षा-कवच !!
By
Divya Garbh Sanskar
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दूसरो को प्रभावित करना -- जो व्यक्ति अपने प्रतिकूल है उन्हें अनुकूल बनाने के लिये,उपेक्षा करने वालो में प्रेम उत्पन्न करने के लिये गायत्री द्दारा आकर्षण क्रिया की जा सकती है। वशीकरण तो घोर तांत्रिक क्रिया द्दारा ही होता है, पर चुम्बकीय आकर्षण , जिससे किसी व्यक्ति का मन अपनी ओर सदभावनापूर्वक आकर्षित हो, गायत्री की दक्षिण मार्गी इस योग-साधना से हो सकता है। गायत्री मन्त्र का जप तीन प्रणव लगाकर करना चाहिये की अपनी त्रिकुटी (मस्तिष्क के मध्य भाग) में से एक नील वर्ण विघुत-तेज की रस्सी जैसी शक्ति निकलकर उस व्यक्ति तक पहुचती है,जिसे आपको आकर्षित करना है और उसके चारों ओर अनेक लपेट मारकर लिपट जाती है। इस प्रकार लिपटा हुआ व्यक्ति अर्द्धतंद्रित अवस्था में धीरे-धीरे खिंचता चला आता है और अनुकूलता की प्रसन्न मुद्रा उसके चेहरे पर छाई हुई होती है। आकर्षण के लिये यह ध्यान बड़ा प्रभावशाली है । किसी के मन में , मस्तिष्क में से उसके अनुचित विचार हटाकर उचित विचार भरने हो, तो ऐसा करना चाहिए कि शान्तचित्त ...
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