दूसरो को प्रभावित करना -- जो व्यक्ति अपने प्रतिकूल है उन्हें अनुकूल बनाने के लिये,उपेक्षा करने वालो में प्रेम उत्पन्न करने के लिये गायत्री द्दारा आकर्षण क्रिया की जा सकती है। वशीकरण तो घोर तांत्रिक क्रिया द्दारा ही होता है, पर चुम्बकीय आकर्षण , जिससे किसी व्यक्ति का मन अपनी ओर सदभावनापूर्वक आकर्षित हो, गायत्री की दक्षिण मार्गी इस योग-साधना से हो सकता है। गायत्री मन्त्र का जप तीन प्रणव लगाकर करना चाहिये की अपनी त्रिकुटी (मस्तिष्क के मध्य भाग) में से एक नील वर्ण विघुत-तेज की रस्सी जैसी शक्ति निकलकर उस व्यक्ति तक पहुचती है,जिसे आपको आकर्षित करना है और उसके चारों ओर अनेक लपेट मारकर लिपट जाती है। इस प्रकार लिपटा हुआ व्यक्ति अर्द्धतंद्रित अवस्था में धीरे-धीरे खिंचता चला आता है और अनुकूलता की प्रसन्न मुद्रा उसके चेहरे पर छाई हुई होती है। आकर्षण के लिये यह ध्यान बड़ा प्रभावशाली है । किसी के मन में , मस्तिष्क में से उसके अनुचित विचार हटाकर उचित विचार भरने हो, तो ऐसा करना चाहिए कि शान्तचित्त ...
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